द गर्ल इन रूम 105
'मैंने उससे कहा था कि पीएचडी पूरी करके काम शुरू कर दो तो रुपए दे देना। हालांकि उसने मुझे पचास
हजार रुपए दिए थे।" 'ओह, 'मैंने कहा।
'हां, उसे बहुत शौक था किसी उम्दा कश्मीरी ज्वेलर से ट्रेडिशनल ईयररिंग्स लेकर पहनने का। मैंने इसी में
उसकी ज़रा-सी मदद की थी।'
"थ्यो। मुझे कॉल करके यह बताने के लिए शुक्रिया। इसमें कोई खास बात नहीं है, फिर भी, थैंक्स।" 'फूल एनीवे टच में रहना और अपने दोस्त सौरभ को भी मेरी तरफ से हाय बोलना।'
"श्योर।"
'बाय देन। जय हिंद।' फोन कट गया। मैंने सौरभ की ओर देखा। उसने कहा, 'देखा कितना चालाक है ये।'
"शायद उसने सोचा होगा कि हम तहकीकात करने जाए हैं और ईयररिंग्स तक पहुंच सकते हैं।'
"हां, इसलिए बेहतर है कि पहले ही सफ़ाई दे दो।' हम कुछ देर चुपचाप बैठे रहे।
'तुम्हें लगता है, यह राणा को ख़रीद सकता है?" सौरभ ने कहा ।
'अगर हम राणा को सारे सबूत दे दें, उधर से फ़ैज़ फ़ोन लगाए और उसे बहुत सारे सोने के बिस्किट देने का वादा करे, और राणा मान जाए, वोट
'क्या?''
'तुम्हें लगता है कि राणा विकाऊ है?" सौरभ ने मेरी ओर इस तरह देखा, जैसे कि मैंने पूछ लिया हो कि क्या पेट्रोल भी आग पकड़ता है।
'फ़ाइन,' मैंने कहा 'तो अभी राणा के पास नहीं जाते हैं।' 'हम चांस नहीं ले सकते, ' सौरभ ने कहा।
मैं स्टाफरूम में टहलते हुए सोचने लगा कि अब क्या किया जाए।
'हमें फ़ैज़ को दिल्ली में ही पकड़ना होगा, सबके सामने, जहां पर वो किसी को पैसा खिलाने या बच
निकलने की हालत में ना रहे, मैंने कहा। "कैसे?"
'मेरे पास एक आइडिया है।"
"क्या?" 'घर जाकर बात करते हैं, मैंने कहा और समय देखा। 'अभी मुझे डिफ्रेशियल इक्वेशंस पढ़ाना है।' "ठीक है बाय द वे, भाई, सौरभ ने कहा और चुप हो गया।
"क्या?'
'ये केवल एक आइडिया है, इसलिए खुले दिमाग़ से सुनना। अगर हम सोने का एक बिस्किट बेचकर उससे
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सफ़दर गहरी सोच में डूबे थे और अपनी दाढ़ी सहला रहे थे। सौरभ और मैं उनके साथ उनके आलीशान ड्राइंग रूम में बैठे थे। हमने उन्हें अभी-अभी श्रीनगर में हुई घटनाओं के बारे में बताया था। 'सिकंदर मर चुका है? क्या सच?'
'हो।'
सफ़दर ने दुआ में हाथ फैला दिए।
'या अल्लाह, फरजाना और मैं, हम दोनों के बच्चे एक साथ ही इस दुनिया से रुखसत हुए।'
सौरभ और मैं चुप रहे। 'वो लड़का कभी भी नेक रास्ते पर नहीं चला। मैं ज़ारा को बार-बार यही बताता था। फ़रज़ाना कैसी हैं?"
"पता नहीं। लेकिन वे अभी श्रीनगर में ही हैं।"
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